रविवार

Asambhav kuch bhi nahi - Nothing is impossible

 असंभव कुछ भी नहीं


Asambhav kuch bhi nahi

कारों को लोकप्रिय बनाने वाले प्रख्यात अमेरिकी उद्योगपति हेनरी फोर्ड का बिजनेस कैरियर शून्य से शिखर तक पहुँचने का प्रेरक उदाहरण है चालीस वर्ष की उम्र तक उनके कई बिजनेस चौपट हो चुके थे और वे लगभग दिवालिया थे। किसान परिवार में जन्मे हेनरी फोर्ड बचपन से ही मशीनों में रुचि लेते थे अपने पिता के सो जाने के बाद वे घड़ियों से खेला करते थे। सोलह साल की उम्र में घर छोड़ने के बाद वे दिन में स्टीम इंजन सुधारने का काम करते थे और रात को घड़ी सुधारने का हर दिन वे लगभग तेरह-चौदह घंटे काम करते थे ।

फोर्ड ने एक ऐसी कार बनाने का सपना देखा, जिसका बड़े पैमाने पर उत्पादन और उपयोग हो। वे इतनी सस्ती कार बनाना चाहते थे कि आम आदमी उसे खरीद सके। इस सपने को सच करने में वे लगन से जुटे और अंत में उन्हें सफलता मिली।
एक बार फोर्ड एक ऐसा इंजन बनाना चाहते थे, जिसके आठों सिलेंडर एक ही ब्लॉक में हों। उन्होंने अपने इंजीनियरों से ऐसा करने को कहा । मन ही मन में हँसते हुए इंजीनियरों ने कहा कि यह असंभव है, परंतु फोर्ड ने कहा कि इस काम को करना ही है। मन मसोसकर इंजीनियरों ने एक साल तक मेहनत की, लेकिन वे सफल नहीं हुए। इंजीनियरों को लगा कि फोर्ड अपनी ज़िद्द छोड़ देंगे, परंतु फोर्ड अपनी जिद्द पर अड़े रहे। उन्होंने इंजीनियरों से कहा कि वे इस काम में तब तक जुटे रहें, जब तक कि वे सफल न हो जायें। लगातार मेहनत करने के बाद आखिरकार एक दिन इंजीनियर वी-8 मोटर इंजन बनाने में सफल हो ही गये। असंभव (impossible) शब्द .फोर्ड के शब्दकोश में नहीं था, इसी वजह से उन्हें यह इंजन बनाने में सफलता मिली।

एक बड़ी सफलता पाने के लिए सिर्फ प्रयास ही नहीं करना चाहिए बल्कि उसके विषय में सपने भी देखने चाहिए। उस सफलता की योजना भी बनानी चाहिए और उसमें विश्वास भी रखना चाहिए।

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